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physics : Light , भौतिक विज्ञान : प्रकाश


   प्रकाश light
    
  परिचय

प्रकाश, ऊर्जा का ही एक रूप है जो हमारी दृष्टिï के संवेदन का कारण है। प्रकाश द्वारा अपनाए गए सरल पथ को किरण (ray) कहते हैं। अनेक किरणों से किरण पुंज (beam) बनता है जो अपसारी (diverging) अभिसारी (converging) हो सकते हैं।

परावर्तन

जब किसी सतह पर प्रकाश पड़ता है तो उसका कुछ भाग सतह द्वारा परावर्तित कर दिया जाता है, किंतु कुछ सतह, जैसे- दर्पण, धातु की पालिश की सतह, आदि आपतित प्रकाश को लगभग पूर्णत: परावर्तित कर देती हैं।

अपवर्तन

जब प्रकाश एक माध्यम से दूसरे माध्यम में तिरछे होकर गमन करता है तो वह अपने पथ से मुड़ा जाता है। इसे प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

वायुमंडलीय अपवर्तन

पृथ्वी के चारों ओर वायुमंडल में ऊँचाई के साथ-साथ वायु का घनत्व कम होता है। प्रकाश को वायु की परतों से गुरजना पड़ता है और यह भी क्रमश: मुड़ता हुआ वक्र पथ अपना लेता है। पृथ्वी के वायुमंडल में प्रकाश के इसी अपवर्तन प्रभाव के कारण ही वास्तविक सूर्यास्त के बाद भी सूर्य क्षितिज के ऊपर कुछ क्षणों तक दृष्टिïगोचर होता है। तारों का टिमटिमाना भी कुछ इसी प्रकार वायुमंडलीय अपवर्तन के कारण होता है।

पूर्ण आंतरिक परावर्तन

प्रकाश हमेशा ही एक माध्यम से प्रकाशीय रूप से सघन माध्यम में जा सकता है, लेकिन यह विरल माध्यम में हमेशा ही नहीं जा सकता है। जब प्रकाश किरणें सघन माध्यम से विरल माध्यम के पृष्ठï पर आपातित हो रही हों और आपतन कोण क्रांतिक कोण से अधिक हो तब प्रकाश का अपवर्तन नहीं होता, बल्कि संपूर्ण प्रकाश परावर्तित होकर उसी माध्यम में लौट जाता है। इस घटना को पूर्ण आंतरिक परावर्तन (Total Internal Relection) कहते हैं। पूर्ण आंतरिक परावर्तन का एक उपयोगी प्रयोग ऑप्टिकल फाइबर में किया जाता है।

लेंस

कैमरों, प्रोजेक्टरों, दूरबीनों, सूक्ष्मदर्शियों आदि प्रकाशीय यंत्रों में लेंसों का उपयोग प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए किया जाता है। दृष्टिï दोषों के निवारण हेतु भी लेंस लगे चश्मों का प्रयोग किया जाता है।

दृष्टि का स्‍थायित्‍व

रेटिना पर पडऩे वाले प्रकाश की संवेदना प्रकाश स्रोत या प्रतिरूप के हटने के कुछ क्षण बाद तक रहती है जिसे दृष्टि का स्थायित्व कहते हैं। यदि किसी क्रिया के विभिन्न पहलुओं के चित्रों को एक क्रम में तैयार किया जाए और उन्हें एक द्रुत क्रम में देखा जाए तो आँखें चित्रों को जोडऩे की प्रवृत्ति रखती हैं और परिणामत: चलते हुए प्रतिरूप का भ्रम होता है। इस तथ्य का उपयोग प्रोजेक्टर एवं टेलीविज़न में किया जाता है।

दिर्घदृष्टि

इससे ग्रस्त व्यक्ति दूर की वस्तुओं को तो स्पष्ट रूप से देख पाता है किंतु निकट की वस्तुओं को नहीं। यह नेत्र दोष, नेत्र गोलक (Eye-Ball) के कुछ छोटा होने के कारण होता है तथा अभिसारी लेंस का ऐनक लगाकर दूर किया जा सकता है।

निकट दृष्टि

- इससे ग्रसित व्यक्ति में प्रतिबिम्व दृष्टि पटल से पहले ही फोकस हो जाता है। ऐसा नेत्र गोलक के कुछ लम्बा होने के कारण होता है। इससे ग्रसित व्यक्ति दूर की वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाता है। इस दोष को अपसारी लेंस का चश्मा लगाकर ठीक किया जा सकता है।
- लेंस की क्षमता को फोकल दूरी के व्युत्क्रम से मीटर में व्यक्त करते हैं तथा इसका मात्रक डायोप्टर (D) है।

प्रकाश का वर्ण विक्षेपण

जब सूर्य का प्रकाश किसी प्रिज़्म से गुजरता है तो यह अपवर्तन के पश्चात् प्रिज्म के आधार की ओर झुकने के साथ-साथ विभिन्न रंगों के प्रकाश में बंट जाता है। इस प्रकार से प्राप्त रंगों के समूह को वर्ण-क्रम कहते हैं तथा प्रकाश के इस प्रकार अवयवी रंगों में विभक्त होने की प्रक्रिया को वर्ण विक्षेपण कहते है। बैंगनी रंग का विक्षेपण सबसे अधिक एवं लाल रंग का विक्षेपण सबसे कम होता है। परावर्तन, पूर्ण आंतरिक परावर्तन तथा अपवर्तन द्वारा वर्ण विक्षेपण का सबसे अच्छा उदाहरण आकाश में वर्षा के बाद दिखाई देने वाला इंद्र धनुष है।

प्रकाश प्रकीर्णन

जब प्रकाश अणुओं, परमाणुओं छोटे-छोटे कणों पर आपतित होता है तो उसका विभिन्न दिशाओं में प्रकीर्णन हो जाता है। जब सूर्य का प्रकाश जो कि सात रंगों का बना होता है वायुमंडल से गुजरता है तो वह वायुमंडल में उपस्थित कणों द्वारा विभिन्न दशाओं में प्रसारित हो जाता है। इस प्रक्रिया को ही प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं। आकाश का रंग सूर्य के प्रकाश के प्रकीर्णन के कारण ही नीला दिखाई देता है.

प्रकाश का विवर्तन

यदि किसी प्रकाश स्रोत पर्दे के बीच कोई अपारदर्शी अवरोध रख दिया जाए तो हमें पर्दे पर अवरोध की स्पष्ट छाया दिखाई पड़ती है। इससे प्रतीत होता है कि प्रकाश का संचरण सीधी रेखा में होता है। लेकिन यदि अवरोध का आकार बहुत छोटा हो तो प्रकाश अपने सरल रेखीय संचरण से हट जाता है अवरोध के किनारों पर मुड़कर छाया में प्रवेश कर जाता है। इस घटना को 'प्रकाश का विवर्तन' कहते हैं।

प्रकाश तरंगों का व्‍यतिकरण

जब सामान आवृत्ति समान आयाम की दो प्रकाश तरंगें जो मूलत: एक ही प्रकाश स्रोत से एक ही दिशा में संचारित होती हैं तो माध्यम के कुछ बिंदुओं पर प्रकाश की तीव्रता अधिकतम कुछ बिंदुओं पर तीव्रता न्यूनतम या शून्य पाई जाती है। इस घटना को ही प्रकाश तरंगों का व्यतिकरण कहते हैं। इसी कारण तेल की पर्तें साबुन के बुलबुले रंगीन दिखाई देते हैं।

प्रकाश तरंगों का ध्रुवीकरण

जब दो कारें एक दूसरे की ओर आती हैं तो उनके प्रकाश के चकाचौंध से दुर्घटना हो सकती है। इसे रोकने के लिए कारों में पोलेराइडों का उपयोग किया जाता है। सिनेमाघर में पोलेराइड के चश्में पहनकर तीन विमाओं वाले चित्रों को देखा जाता है।


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