बंगाल के गवर्नर जनरल
वारेन हेस्टिंग्स (1772 से 1785 ई )
- 1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट के द्वारा वारेन
हैस्टिंग्स बंगाल
का प्रथम
गवर्नर जनरल
बनाया गया।
- वारेन हेस्टिंग्स ने बंगाल
की राजधानी
को कोलकाता
लाकर भारत
मेँ अंग्रेजी साम्राज्य की राजधानी घोषित
किया।
- वारेन हेस्टिंग्स ने 1776 मेँ कानून संबंधी
एक संहिता
का निर्माण
करवाया जिसे
ए कोड ऑफ जेंटू
कहा जाता
है।
- इसके समय में बंगाल
के एक समृद्ध ब्राह्मण, नंद कुमार
पर भ्रष्टाचार का आरोप
लगाकर अभियोग
चलाया गया।
- प्रथम आंग्ल
मराठा युद्ध
वारेन हेस्टिंग्स के शासन
काल मेँ हुआ था।
- इसके समय मेँ द्वितीय
आंग्ल मैसूर
युद्ध (1780 – 1784) हुआ।
- वारेन हैस्टिंग्स के कार्यकाल मेँ पिट्स
इंडिया एक्ट
पारित हुआ,
जिसके द्वारा
बोर्ड ऑफ कंट्रोल की स्थापना हुई।
- वारेन हैस्टिंग्स के 1785 ई. मेँ वापस
इंग्लैण्ड जाने
के बाद मैक्फर्सन फरवरी
1785 से सितंबर
1786 ई. तक बंगाल का गवर्नर रहा।
लार्ड कार्नवालिस (1786 से 1793 ई )
- कार्नवालिस को भारत मेँ एक निर्माता एवं सुधारक
के रुप मेँ याद किया जाता
है।
- कार्नवालिस को सिविल सेवा
का जनक कहा जाता
है। इसने
कलेक्टर के अधिकारोँ को सुनिश्चित किया
और उनके
वेतन का निर्धारण किया।
- कार्नवालिस ने भारत मेँ ब्रिटेन से भी पहले
पुलिस व्यवस्था की स्थापना
की इसलिए
इसे पुलिस
व्यवस्था का जनक भी कहा जाता
है।
- कॉर्नवालिस ने प्रशासनिक व्यवस्था को व्यवस्थित करने के लिए 1793 मेँ एक नियम
बनाया जिसे
कार्नवालिस कोड के नाम से भी जाना जाता
है। इस कोड के अनुसार कार्नवालिस ने कार्यपालिका एवं नयायपालिका की शक्तियोँ का विभाजन
किया।
- 1790 - 1792 ई. में तृतीय आंग्ल
मैसूर युद्ध
कार्नवालिस के कार्यकाल मेँ हुआ।
- 1793 मेँ कार्नवालिस ने बंगाल
बिहार और उड़ीसा मेँ स्थाई बंदोबस्त लागू किया।
- 1895 मेँ कॉर्नवालिस की मृत्यु
हो गई गाजीपुर मेँ इसका मकबरा
बनाया गया है जिसे
लाट साहब
का मकबरा
कहा जाता
है।
सर जॉन शोर (1793 ई. से 1798 ई.)
- कार्नवालिस के बाद सर जॉन शोर को बंगाल
का गवर्नर
जनरल बनाया
गया। इसके
कार्यकाल मेँ सर्वाधिक महत्वपूर्ण घटना खारदा
का युद्ध
था, जो
1795 में मराठों
व निजाम
के बीच।
- सर जॉन शोर अपनी
अहस्तक्षेप की नीति के कारण विख्यात
था। इसके
कार्यकाल मेँ बंगाल के अंग्रेज अधिकारियोँ के विद्रोह
से स्थिति
अनियंत्रित हो गई, जिससे
1798 में इसे इंग्लैण्ड वापस
बुला लिया
गया।
लार्ड वेलेजली (1798 ई. से 1805 ई.)
- लार्ड वेलेजली
ने शांति
की नीति
का परित्याग कर केवल
युद्ध की नीति का अवलंबन किया।
- लार्ड वेलेजली
ने साम्राज्य विस्तार की नीति को अपनाते हुए भारतीय राज्योँ
को शासन
ब्रिटिश शासन
की परिधि
मेँ लाने
के लिए सहायक संधि
प्रणाली का प्रयोग किया।
- लार्ड वेलेजली,
कंपनी को भारत की सबसे बडी शक्ति बनाना
चाहता था, उसके प्रदेशो
का विस्तार
कर भारत
के सभी राज्योँ को कंपनी पर निर्भर होने
की स्थिति
मेँ लाना
चाहता था।
- सहायक संधि
पर हस्ताक्षर करने वाले
राज्यों में हैदराबाद तथा फिर मैसूर,
तंजौर, अवध,
जोधपुर, जयपुर,
बूंदी, भरतपुर
और पेशावर
शामिल थे।
- वेलेजली के कार्यकाल मेँ चौथा आंग्ल
मैसूर युद्ध
हुआ। इसने
इस युद्ध
मेँ टीपू
सुल्तान को हराने के पश्चात मैसूर
पर अधिकार
कर लिया।
- इसने पेशवा
के साथ बेसीन की संधि की तथा 1803 - 1805 के दौरान आंग्ल
मराठा युद्ध
लड़ा।
- अपनी विस्तार
नीति के तहत पंजाब
सिंधु को छोडकर लगभग
संपूर्ण भारत
को कंपनी
के प्रभाव
क्षेत्र मेँ ला दिया।
- लार्ड वेलेजली
के कार्यकाल मेँ टीपू
सुल्तान ने नेपोलियन से पत्राचार कर भारत से अंग्रेजो को निकालने की योजना बनाई
थी।
सर जॉर्ज बालोंं (1805 ई. से 1807 ई.)
- लार्ड वेलेजली
के बाद कार्नवालिस को पुनः 1805 मेँ बंगाल का गवर्नर जनरल
बनाकर भेजा
गया, किंतु
तीन महीने
बाद अक्टूबर
1805 मेँ उसकी
मृत्यु हो गई।
- कार्नवालिस की मृत्यु के बाद जॉर्ज
बार्लो को बंगाल का गवर्नर जनरल
बनाया गया।
- जॉर्ज बार्लो
ने लार्ड
वेलेजली के विपरीत अहस्तक्षेप की नीति
का समर्थन
किया।
- इसके कार्यकाल मेँ वेल्लोर
मेँ 1806 में सिपाहियों ने विद्रोह किया।
- जार्ज बार्लों
ने धेलकर
के साथ राजपुर घाट की संधि
(1805) की।
लॉर्ड मिंटो (1807 ई.)
- लॉर्ड मिंटो
ने रंजीत
सिंह के साथ अमृतसर
की संधि
की।
- लार्ड मिंटो
ने मैल्कम
को ईरान
तथा एलफिंस्टन को काबुल
भेजा।
- इसके कार्यकाल मेँ 1813 का चार्टर अधिनियम
पारित हुआ।
- लॉर्ड मिंटो
ने फ्रांसीसियों पर आक्रमण
करके बोर्बन
और मारिशस
के द्वीपो
पर कब्जा
कर लिया।
मार्क्विस हेस्टिंंग्स (1813 ई. से 1823 ई .)
- इसके कार्यकाल मेँ आंग्ल
नेपाल युद्ध
(1814-1816 ई.) हुआ।
इस युद्ध
मेँ नेपाल
को पराजित
करने के बाद उसके
साथ संगौली
की संधि
की।
- संगौली की संधि के द्वारा काठमांडू मेँ एक ब्रिटिश रेजिडेंट रखना स्वीकार
कर लिया
गया। इस संधि द्वारा
अंग्रेजो को शिमलाम, मसूरी,
रानीखेत एवं नैनीताल प्राप्त
हुए।
- लॉर्ड हैस्टिंग्स के कार्यकाल मेँ तृतीय
आंग्ल मराठा
युद्ध (1817-1818) हुआ। 1818 मेँ इसने
पेशवा का पद समाप्त
कर दिया।
- इसने 1817-1818 में पिंडारियों का दमन किया।
पिंडारियों के नेता चीतू,
वासिल मोहम्मद
तथा करीम
खां थे।
- लॉर्ड हेस्टिंग्स 1799 मेँ लगाए
गए प्रेस
प्रतिबंधोँ को हटा दिया।
- इसके कार्यकाल मेँ 1822 मेँ बंगाल मेँ रैयत के अधिकारोँ को सुरक्षित करने
के लिए बंगाल काश्तकारी अधिनियम पारित
किया गया।
लॉर्ड एमहर्स्ट (1823 ई. सेे 1828 तक )
- लॉर्ड एमहर्स्ट के कार्यकाल मेँ आंग्ल
बर्मा युद्ध
(1824-1826) हुआ।
- बर्मा युद्ध
मेँ सफलता
के बाद इसने 1826 मेँ यांद्बू की संधि की जिसके द्वारा
बर्मा ने हर्जाने के रूप मेँ ब्रिटेन को एक करोड़
रूपया दिया।
- लॉर्ड एमहर्स्ट 1824 मेँ कोलकाता
मेँ गवर्नमेंट संस्कृत कालेज
की स्थापना
की।
- इसने भरतपुर
के दुर्ग
पर अधिकार
किया तथा बैरकपुर मेँ हुए विद्रोह
को दबाया।