राष्ट्रवाद के पुनः जीवंत होने के कारण
- युद्धोपरांत उत्पन्न हुई आर्थिक कठिनाइयां।
- विश्वव्यापी साम्राज्यवाद से राष्ट्रवादियों का मोहभंग होना।
- रूसी क्रांति का प्रभाव।
दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी की गतिविधियां 1893 से 1914
- नटाल भारतीय कांग्रेस का गठन एवं इण्डियन आोपीनियन नामक पत्र का प्रकाशन।
- पंजीकरण प्रमाणपत्र के विरुद्ध सत्याग्रह।
- भारतियों के प्रवसन पर प्रतिबंध लगाये जाने के विरुद्ध सत्याग्रह।
- टाल्सटाय फार्म की स्थापना।
-
पोल टेक्स
तथा भारतीय
विवाहों को अप्रमाणित करने
के विरुद्ध
अभियान।
-
गांधीजी को आंदोलन के लिये जनता
के शक्ति
का अनुभव
हुआ, उन्हें
एक विशिष्ट
राजनीतिक शैली,
नेतृत्व के नये अंदाज
और संघर्ष
के नये तरीकों को विकसित करने
का अवसर
मिला।
- चम्पारन सत्याग्रह (1917) - प्रथम सविनय अवज्ञा।
- अहमदाबाद मिल हड़ताल (1918) – प्रथम भूख हड़ताल।
- खेड़ा सत्याग्रह (1918) - प्रथम असहयोग।
- रॉलेट सत्याग्रह (1918) - प्रथम जन-हड़ताल।
खिलाफत और असहयोग आंदोलन
- तुर्की के साथ सम्मानजनक व्यवहार।
- सरकार पंजाब में हुयी ज्यादतियों का निराकरण करे।
- स्वराज्य की स्थापना।
प्रयुक्त की गई तकनीकी
सरकारी शिक्षण संस्थाओं, सरकारी न्यायालयों, नगरपालिकाओं, सरकारी सेवाओं, शराब तथा विदेशी कपड़ों का बहिष्कार, राष्ट्रीय शिक्षण संस्थाओं एवं पंचायतों की स्थापना एवं खादी के उपयोग को प्रोत्साहन, आंदोलन के द्वितीय चरण में कर-ना अदायगी कार्यक्रम ।
1920 के दशक
में नई शक्तियों का अभ्युदय
- मार्क्सवादी एवं समाजवादी विचारों का प्रसार।
- भारतीय युवा वर्ग का सक्रिय होना।
- मजदूर संघों का विकास ।
- कृषकों के प्रदर्शन ।
- जातीय आंदोलन।
- क्रांतिकारी आतंकवाद का समाजवाद की ओर झुकाव।
हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन
एवं हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन की गतिविधियां
- स्थापना-1924
- काकोरी डकैती-1925
- पुनर्संगठित-1928
- सैन्डर्स की हत्या-1928
- केंद्रीय विधान सभा में बम विस्फोट-1929
- वायसराय की ट्रेन को जलाने का प्रयास-1929
- पुलिस मुठभेड़ में चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु-1931
- भगतसिंह, राजगुरु एवं सुखदेव को फांसी-1931
बंगाल में क्रांतिकारी
गतिविधियां
- कलकत्ता के पुलिस कमिश्नर की हत्या का प्रयास-1924
- सूर्यसेन के चटगांव विद्रोही संगठन द्वारा चटगांव डकैती-1930
सांप्रदायिकता के विकास के कारण
- सामाजिक-आर्थिक पिछड़ापन- उपनिवेशी शासन द्वारा रियायतों एवं संरक्षण की नीति का साम्प्रदायिकता के विकास हेतु ईधन के रूप में प्रयोग।
- अंग्रेजी शासकों की ‘फूट डालो और राज करो' की नीति।
- इतिह्रास लेखन का साम्प्रदायिक चरित्र।
- सामाजिक-धार्मिक आंदोलनों का पार्श्व प्रभाव।
- उग्रराष्ट्रवाद का पार्श्व प्रभाव।
- बहुसंख्यक समुदाय की साम्प्रदायिक प्रतिक्रिया।
साइमन कमीशन
साइमन कमीशन को वर्तमान सरकारी व्यवस्था, शिक्षा के प्रसार तथा प्रतिनिधि संस्थानों के अध्यनोपरांत यह रिपोर्ट देनी थी कि भारत में उत्तरदायी सरकार की स्थापना कहां तक लाजिमी है तथा भारत इसके लिये कहां तक तैयार है। भारतीयों को कोई प्रतिनिधित्व न दिये जाने के कारण भारतीयों ने इसका बहिष्कार किया।
नेहरू रिपोर्ट
- भारतीय संविधान का मसविदा तैयार करने की दिशा में भारतीयों का प्रथम प्रयास।
- भारत की औपनिवेशिक स्वराज्य का दर्जा दिये जाने की मांग।
- पृथक निर्वाचन व्यवस्था का विरोध, अल्पसंख्यकों हेतु पृथक स्थान आरक्षित किये जाने का विरोध करते हुये संयुक्त निर्वाचन पद्धति की मांग।
- भाषायी आधार पर प्रांतों के गठन की मांग।
- 19 मौलिक अधिकारों की मांग।
- केंद्र एवं प्रांतों में उत्तरदायी सरकार की स्थापना की मांग।
कांग्रेस का कलकत्ता अधिवेशन दिसंबर 1928
सरकार को डोमिनियन स्टेट्स की मांग को स्वीकार करने का एक वर्ष का अल्टीमेटम, मांग स्वीकार न किये जाने पर सविनय अवज्ञा आदोलन प्रारंभ करने की घोषणा।
कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन
दिसंबर 1929
- पूर्ण स्वराज्य को कांग्रेस ने अपना मुख्य लक्ष्य घोषित किया।
- कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आदोलन प्रारंभ करने का निर्णय लिया।
- 26 जनवरी 1930 को पूरे राष्ट्र में प्रथम स्वतंत्रता दिवस मनाया गया।