भारत का मानसून
– मानसून का अच्छा प्रदर्शन अल नीनो
की घटना
पर निर्भर
करता है। यह पाया
जाता है कि जिस वर्ष अलनीनो
का आगमन
होता है उस वर्ष
मानसून का प्रदर्शन कमजोर
होता है। इसके अतिरिक्त जेटधारा भी भारतीय मानसून
को अत्यधिक
प्रभावित करती
है।
- भारत की जलवायु पर उष्णता तथा मानसून का सबसे अधिक
प्रभाव है, इसलिए यहां
की जलवायु
को उष्ण
मानसूनी जलवायु
कहा गया है।
- भारत के मानसून का स्वभाव अत्यंत
ही अनिश्चित होता है, इसी अनिश्चितता के कारण
इसे भारतीय
किसान के साथ जुआ कहा गया है।
- भारतीय उपमहाद्वीप पर उपोष्ण
जेट तथा पूर्वी जेट हवा का प्रभाव पड़ता
है और ये हवाएं
भारत मेँ मानसून को नियंत्रित करती
हैं।
- उत्तरी-पूर्वी
राज्यों मेँ वर्षा पर्वतीय
प्रकार की होती है। यहां की गारो, खासी,
जयंतिया, मिकिर,
रेंगमा, बराइल
आदि पहाडियोँ से टकराकर
ये हवायें
ऊपर उठती
हैं और ठंडी होकर
वर्षा करती
हैं।
- चेरापूंजी मेँ अधिक वर्षा
का कारण
मानसूनी हवा का शंकु
के आकार
मेँ गारो,
खासी, जयंतिया
की घाटी
के बीच से ऊपर उठना एवं ठंडी होकर
अत्यधिक वर्षा
करना है।
- सर्वाधिक वर्षा
वाला स्थान
मासिनराम है, जो चेरापूँजी से 50 किलोमीटर पश्चिम की ओर स्थित
है।
- असम के मैदानी भागोँ
मे वर्षा
चक्रवातीय प्रकार
की होती
है।
- मरुस्थल में ताप का व्युत्क्रमण पाया
जाता है।
- बंगाल की खाड़ी मेँ गर्त नहीँ
बनते हैं।
- भारत मेँ शीत ऋतू मेँ वर्षा
के 3 क्षेत्र
हैं
1. कोरोमंडल तट (चक्रवातीय)
2. उत्तर-पूर्वी
राज्य (पर्वतीय)
3. पश्चिमोत्तर राज्य
(चक्रवातीय)
- सूखाग्रस्त क्षेत्र
कार्यक्रम (DPAP) एक समेकित क्षेत्र
विकास कार्यक्रम के रुप मेँ 1973 मेँ आरंभ किया
गया।
- उत्तर भारत
मेँ दामोदर,
कोसी और ब्रहमपुत्र नदियां
अपनी विनाशकारी बाढ़ों के लिए जानी
जाती हैं।