भारत के भूकंप और ज्वालामुखी
क्षेत्र
- भूकंप का अध्यन सीस्मोलॉजी (Seismology) कहलाता है। भारत
मेँ राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान
आंकड़ा केंद्र
दिल्ली मेँ स्थित है। भारत के प्राकृतिक विभागों
के अनुरुप
तीन भूकंप
क्षेत्र पाए जाते हैं-
1. हिमालय प्रदेश
2. गंगा-सिंधु
का प्रदेश
3. प्रायद्वीपीय क्षेत्र
- राष्ट्रीय आपदा
प्रबंधन संस्थान
ने भारत
मेँ आए
1200 भूकम्पों के गहन विश्लेषण के बाद
8 से 5 भूकंपीय
क्षेत्रों मेँ बांटा है।
1. अत्यधिक जाति
जोखिम क्षेत्र
2. अधिक जाति
जोखिम क्षेत्र
3. मध्यम जाति
जोखिम क्षेत्र
3. निम्न जाति
जोखिम क्षेत्र
4. अति निम्न
जाति जोखिम
क्षेत्र
- हिमालय प्रदेश
सबसे अधिक
भूकंप प्रभावित क्षेत्र कहा जाता है। जिसमेँ हिमालय
पर्वत एवं उसके समीपवर्ती भाग सम्मिलित हैं। इस भाग मेँ ही भारत
के सबसे
विध्वंसकारी भूकंप
उत्पन्न हुए हैं। ये भाग रवेदार
और अवसादी
शैलोँ से निर्मित हैं।
- गंगा सिंधु
का प्रदेश
सीमांत प्रभावित क्षेत्र है यह प्रदेश
प्रायद्वीप की कठोर भूमि
तथा हिमालय
प्रदेश के बीच मेँ स्थित है। किन्तु इस क्षेत्र में भूकम्पों का प्रभाव इतना
विनाशकारी नहीँ
है।
- प्रायद्वीपीय क्षेत्र
भूकंप का तीसरा क्षेत्र
दक्षिणी प्रायद्वीप है जो बड़ा स्थिर
भू-भाग माना जाता
था, किंतु
ज्यों-ज्यों
उत्तर से दक्षिण भारत
की और बढते हैं,
भूकंप क्षेत्रोँ की तुलनात्मक प्रभावशीलता कम होती जाती
है।
- भूगर्भ शास्त्रियोँ के अनुसार
कश्मीर से लेकर असम तक हिमालय
पर्वत श्रृंखला, सिंधु-गंगा
का मैदान
और कच्छ
तथा सौराष्ट्र क्षेत्र, भारत
के सर्वाधिक अस्थिर भू-भाग हैं जिनमें बहुधा
विनाशकारी भूकंप
आते हैं।
- भूकंप की तीव्रता मरकेली
पैमाने (Mercalli scale) पर मापी
जाती है, इसमेँ एक से 12 तक अंक रोमन
मेँ अंकित
होते हैं।
दूसरा प्रसिद्ध पैमाना रिक्टर
पैमाना (Richter scale) है, इसमेँ 1 से 9
के बीच के अंक अंकित होते
हैं। 3.5 की रिक्टर को कमजोर तथा
8.9 की तीव्रता
को प्रलयकारी माना जाता
है।
- अत्यधिक भूकंप
संभावित क्षेत्रों मेँ जम्मू-कश्मीर, हिमाचल,
उत्तराखंड, नेपाल-बिहार सीमा,
बिहार, उत्तर-पूर्वी राज्य
आते हैं।
- महाद्वीपीय क्षेत्र
संतुलित क्षेत्र
हैं। अन्य
एकांगी क्षेत्रों मेँ शामिल
है, जलाशय
प्रेरित भूकंपीय
क्षेत्र, यथा-कोयना इडुक्की।