मानव जीवन में रसायनशास्त्र
डिटोल व फिनायल आदि जिनका प्रयोग
घरों में शरीर के घावों की सफाई औरक कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता
है वास्तव
में रासायनिक पदार्थ ही हैं ।डिटोल
को क्लोरोजाइलीनॉल कहा जाता है । डॉक्टर
भी मरहम
पट्टी करने
से पहले
घाव को हाइड्रोजन परॉक्साइड से साफ़ करता है जीवनुनाशक गुण के कारण
आयोडीन के टिंक्चर का प्रयोग अस्पतालों में ड्रेसिंग के लिया
किया जाता
है । ब्लीचिंग पाउडर/
कैल्सियम हाइपोक्लोराइट का प्रयोग जल स्रोतों की सफाई व नालियों को साफ़ करने
में किया
जाता है ।माउथवाश बनाने
और दंतशल्यक्रिया में फीनोल का प्रयोग किया
जाता है ।
सौंदर्य प्रसाधन
वर्त्तमान में अधिकतर सौंदर्य
प्रसाधनों का निर्माण रासायनिक पदार्थों के द्वारा ही होता है जैसे –नेलपॉलिश में टिटेनियम ऑक्साइड का प्रयोग किया
जाता है, कोल्ड क्रीम
खनिज तेल मोम,पानी
और बोरेक्स
के मिश्रण
में इत्र
को मिलाकर
तैयार की जाती है ,पाउडर के निर्माण में खड़िया, टेलकम,
जिंक ऑक्साइड,
चिकनी मिट्टी
का चुर्ण
और स्टार्च
आदि को इतर के साथ मिलाया
जाता है और लिपस्टिक का निर्माण
मोम, तारकोल
और तेल के द्वारा
होता है।
स्टेशनरी वस्तुएं
कागज का निर्माण लकड़ी
से लुगदी
निकलकर किया
जाता है फिर उसमें
कई तरह के रासयन
डाले जाते
हैं जिनके
प्रयोग से उसमें से अवांछनीय पदार्थ
बहार निकल
जाते हैं और शुद्ध
सेलुलोज बच जाता है ।फिर इसे ब्लीचिंग पाउडर
से विरंजित
कर इसमें
खड़िया मिट्टी
या स्टार्च
को मिलाया
जाता है । पेन्सिल
में उपस्थित
ग्रेफाइट भी कार्बन का अपरूप है और ये मुलायम व विद्युत् सुचालक
होता है ।
फोटोग्राफी
जब किसी
वस्तु की फोटो खिंची
जाती है तो वस्तु
से प्रकाश
कैमरे के लेंस होता
हुआ फिल्म
पर पड़ता
है और फिल्म पर लगे सिल्वर
यौगिक के रसायनिक परिवर्तन से वास्तु
का निगेटिव
तैयार हो जाता है । बाद में निगेटिव
से पोजिटिव
चित्र सोडियम
थायोसल्फेट से लेपित कागज
पर उतार
लिया जाता
है और डवलप कर लिया जाता
है ।
साबुन व डिटर्जेंट
साबुन व डिटर्जेंट रासायनिक यौगिक या यौगिकों का मिश्रण हैं जिनका प्रयोग
शोधन/धुलाई
के लिए किया जाता
है । साबुन सोडियम
या पौटेशियम लवण तथा वसीय अम्लों
का मिश्रण
होता है जो पानी
में शोधन
क्रिया (Cleansing Action) करता है जबकि डिटर्जेंट भी यही काम करता
है लेकिन
धुलाई /शोधन
के लिए वह साबुन
की तुलना
में बेहतर
होता है क्योंकि पानी
की कठोरता
का उस पर कोई प्रभाव नहीं
पड़ता है ।
कृषि कार्य
वर्तमान में कृषि कार्य
में रसायनों
का प्रयोग
बढ़ता जा रहा है । उर्वरक
व कीटनाशक
रासायनिक मिश्रण
ही हैं जो फसल की उत्पादकता बढ़ाने के साथ साथ उन्हें नष्ट
होने से भी बचाते
है । उच्च उपज वाले बीजों
का निर्माण
भी रासायनिक क्रिया द्वारा
होता है । उर्वरकों, कीटनाशकों तथा उच्च उपज वाले बीजों
का भारत
में हरित
क्रांति लाने
में महत्वपूर्ण योगदान था जिससे न केवल देश खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हुआ बल्कि खाद्य
सुरक्षा की स्थिति भी बेहतर हुई है ।
उद्धोग व परिवहन
वस्त्र उद्योग,
धातु उद्योग,
चमड़ा उद्योग,
पेट्रोरसायन उद्योग
आदि में रसायनों का किसी भी न किसी
रूप में प्रयोग किया
जाता है । कच्चे
तेल से पेट्रोल, डीजल,
केरोसिन आदि को रासायनिक क्रिया द्वारा
ही अलग किया जाता
है । परिवहन में प्रयोग होने
वाली सीएनजी
गैस भी रासायनिक मिश्रण
है । चमड़ा बनाने
की क्रिया,
जिसे टैनिंग
कहते हैं,
रासायनिक प्रक्रिया ही है ।
इन क्षेत्रों के अलावा
भी हथियारों के निर्माण,
बर्तनों के निर्माण आदि में रसायनशास्त्र की महत्वपूर्ण भूमिका है और मानव
जीवन में इसकी भूमिका
लगातार बढ़ती
ही जा रही है ।