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Science gk , Medicine औषधियॉ


औषधियॉ

परिचय

औषधियाँ रोगों के इलाज में काम आती हैं। प्रारंभ में औषधियाँ पेड़-पौधों, जीव जंतुओं से प्राप्त की जाती थीं, लेकिन जैसे-जैसे रसायन विज्ञान का विस्तार होता गया, नए-नए तत्वों की खोज हुई तथा उनसे नई-नई औषधियाँ कृत्रिम विधि से तैयार की गईं।

औषधियों के प्रकार

1. अंत:स्रावी औषधियाँ - ये औषधियाँ मानव शरीर मे प्राकृतिक हारमोनों के कम या ज्यादा उत्पादन को संतुलित करती हैं। उदाहरण- इंसुलिन का प्रयोग डायबिटीज़ के इलाज के लिए किया जाता है।

2. एंटीइंफेक्टिव औषधियाँ - एंटी-इंफेक्टिव औषधियों को एंटी-बैक्टीरियल, एंटी वायरल अथवा एंटीफंगल के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। इनका वर्गीकरण रोगजनक सूक्ष्मजीवियों के प्रकार पर निर्भर करता है। ये औषधियाँ सूक्ष्मजीवियों की कार्यप्रणाली में हस्तक्षेप करके उन्हें समाप्त कर देती हैं जबकि मानव शरीर इनसे अप्रभावित रहता है।

3. एंटीबायोटिक्स - एंटीबायोटिक्स औषधियाँ अत्यन्त छोटे सूक्ष्मजीवियों, मोल्ड्स, फन्जाई आदि से बनाई जाती हैं। पेनिसिलीन, ट्रेटासाइक्लिन, सेफोलोस्प्रिन्स, स्ट्रेप्टोमाइसिन, जेन्टामाइसिन आदि प्रमुख एंटीबायोटिक औषधियाँ हैं।

4. एंटी-वायरल औषधियाँ - ये औषधियाँ मेहमान कोशिकाओं में वायरस के प्रवेश को रोककर उसके जीवन चक्र को प्रभावित करती हैं। ये औषधियाँ अधिकांशता रोगों को दबाती ही हैं। एड्स संक्रमण के मामलों में अभी तक किसी भी प्रभावी औषधि का निर्माण संभव नहीं हो सका है।

5. वैक्सीन - वैक्सीन का प्रयोग कनफेड़ा, छोटी माता, पोलियो और इंफ्लूएंजा जैसे रोगों में, एंटी-वायरल औषधि के रूप में किया जाता है। वैक्सीनों का निर्माण जीवित अथवा मृत वायरसों से किया जाता है। प्रयोग के पूर्व इनका तनुकरण किया जाता है। वैक्सीन के शरीर में प्रवेश से मानव इम्यून प्रणाली का उद्दीपन होता है जिससे एंडीबॉडीज़ का निर्माण होता है। ये एंटीबॉडीज़ शरीर को समान प्रकार के वायरस के संक्रमण से बचाती हैं।

6. एंटी-फंगल औषधियाँ - एंटी फंगल औषधियाँ कोशिका भित्ति में फेरबदल करके फंगल कोशिकाओं को चुनकर नष्टï कर देती हैं। कोशिका के जीव पदार्थ का स्राव हो जाता है और वह मृत हो जाती है।

7. कार्डियोवैस्कुलर औषधियाँ- ये औषधियाँ हृदय और रक्त वाहिकाओं को प्रभावित करती हैं। इनका वर्गीकरण उनकी क्रिया के आधार पर किया जाता है। एंटीहाइपरटेन्सिव औषधियाँ रक्त वाहिकाओं को फैलाकर रक्तचाप पैदा कर देती हैं। इस तरह से संवहन प्रणाली में हृदय से पंप करके भेजे गए रक्त की मात्रा कम हो जाती है। एंटीआरिदमिक औषधियाँ हृदय स्पंदनों को नियमित करके हृदयाघात से मानव शरीर को बचाती हैं।

रक्‍त को प्रभावित करने वाली औषधियॉ

1. एंटी-एनीमिक औषधियाँ - एंटी-एनीमिक औषधियाँ जिनमें कुछ विटामिन अथवा आइरन शामिल हैं, लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण को बढ़ावा देती हैं।

2. एंटीकोएगुलेंट औषधियाँ - हेपारिन जैसी औषधियाँ रक्त जमने की प्रक्रिया को घटाकर रक्त संचरण को सुचारू करती हैं।

3. थ्रॉम्बोलिटिक औषधियाँ - ये औषधियाँ रक्त के थक्कों को घोल देती हैं जिनसे रक्त वाहिकाओं को जाम होने का खतरा होता है। रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेड की वजह से हृदय मस्तिष्क को रक्त ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं हो पाती है।

केंद्रीय स्‍नायु तंत्र की औषधियॉ

ये वे औषधियाँ हैं जो मेरूदण्ड और मस्तिष्क को प्रभावित करती हैं। इनका प्रयोग तंत्रिकीय और मानसिक रोगों के इलाज में किया जाता है। उदाहरण के लिए एंटी-एपीलेप्टिक औषधियाँ (antiepilyptic drugs) मष्तिष्क के अतिउत्तेजित क्षेत्रों की गतिविधियों को कम करके मिर्गी के दौरों को समाप्त कर देती हैं। एंटी-साइकोटिक औषधियाँ (anti-pcychotic drugs) सीजोफ्रेनिया (schizophrenia) जैसे मानसिक रोगों के इलाज मेंं काम आती हैं। एंटी-डिप्रेसेंट औषधियाँ (anti-depressent drugs) मानसिक अवसाद की स्थिति को समाप्त करती हैं।

एंटीकैंसर औषधियॉ

ये औषधियाँ कुछ कैंसरों को अथवा उनकी तीव्र वृद्धि और फैलाव को रोकती हैं। ये औषधियाँ सभी कैंसरों के लिए कारगर नहीं होती हैं। पित्त की थैली, मस्तिष्क, लिवर अथवा हड्डी इत्यादि के कैंसरों के लिए अलग-अलग औषधियाँ होती हैं। ये औषधियाँ कुछ विशेष तंतुओं अथवा अंगों के लिए विशिष्ट होती हैं। एंटी कैंसर औषधियाँ विशेष कैंसर कोशिकाओं में हस्तक्षेप करके अपना कार्य अंजाम देती हैं।

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