शिवाजी (1627 - 1608)
- शिवाजी का जन्म शिवनेर
दुर्ग में हुआ था। इनके पिता
शाहजी भोंसले
एवं माता
जीजाबाई थी।
- 1637 या 1638 में शिवाजी को दादा जी कोंडादेव के संरक्षण में उनकी पैतृत्व
पूना की जागीर सौंप
दी गई।
- 1647 में दादा
जी कोंडादेव की मृत्यु
के बाद शिवाजी ने अपनी जागीर
का पूर्ण
नेतृत्व किया।
- 18 वर्ष की आयु में शिवाजी ने तोरण के किले को जीत लिया
एवं रायगढ़
में एक किले का निर्माण करवाया।
- शिवाजी का प्रारंभिक अभियान
बीजापुर के आदिलशाही साम्राज्य के विरूद्ध
था। आदिलशाह
ने अफजल
खाँ को शिवाजी का दमन करने
भेजा परन्तु
शिवाजी द्वारा
1659 में उसकी
हत्या कर दी गई।
- 1660 में औरंगज़ेब ने शाइस्ता
खाँ को शिवाजी की बढ़ती हुई शाक्ति को रोकने भेजा।
शिवाजी ने पूना पर से अधिकार
खो दिया
एवं कई छोटी छोटी
पराजयों का सामना करना
किया।
- 1664 में शिवाजी
ने शाइस्ता
खाँ की सैनिक छावनी
पर आक्रमण
कर सूरत
एवं अहमदनगर
को लूट लिया।
- 1665 में औरंगज़ेब ने आमेर
के राजा
मिर्जा जय सिंह को शिवाजी के दमन के लिए भेजा
एवं जयसिंह
किसी तरह शिवाजी को पुरन्दर के किले में घेरने में सफल हो गया। इसके
फलस्वरूप पुरंदर
की संधि
हुई।
- 1674 में रायगढ़
में शिवाजी
का राज्याभिषेक हुआ एवं उन्होने “हैन्दव धर्मोद्धारक” (हिंदु धर्म
का रक्षक)
एवं छत्रपति
का शीर्षक
धारण किया।
इस अवसर
पर समर्थ
रामदास द्वारा
शिवाजी को आशीर्वाद दिया
गया।
- 1860 में शिवाजी
की मृत्यु
हो गई।
शिवाजी का प्रशासन
शिवाजी के प्रशासन कार्य
में अष्टप्रधान उनकी
सहायता करता
था जो एक आठ मंत्रियों का समूह था।
शिवाजी का अष्टप्रधान
- पेशवा और मुख्य प्रधान:
यह राजा
का सबसे
मुख्य मंत्री
होता था।
- मजूमदार या अमात्य: यह वित्त एवं राजस्व मंत्री
होता था।
- सर-ए-नौबत: यह सेना का सर्वोच्य अधिकारी
होता था।
- वकीनवीस या मंत्री: यह वर्तमान समय के गृहमंत्री के समान
होता था।
- सुरनवीस या सचिव: यह शाही व्यवहार
की देखभाल
करता था। इसे चिटनिस
भी कहा जाता था।
- दाबीर या सुमन्त: समारोह
व उत्सवों
की देखभाल
करने वाला
अधिकारी।
- न्यायधीश: मुख्य
न्यायाधिकारी।
- पंडित राव:
धार्मिक मामलों
की देखभाल
वाला मंत्री।
शिवाजी की राजस्व व्यवस्था
- यह मलिक
आमेर की राजस्व व्यवस्था पर आधारित
थी।
- माप की ईकाई थी।
- चौथ एवं सरदेशमुखी भूमि
कर की प्रणालियाँ थी।