गुर्जर प्रतिहार
- गुर्जर प्रतिहार वंश का
संस्थापक नागभट्ट –प्रथम
था।
- एक अरब यात्री
अल-मसूदी ने
गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य को
अल-जुज्र एवं
राजा को बौरा
कहा है।
- नागभट्ट –द्वितीय
एवं वत्सराज के
पुत्र ने प्रतिहारों
को शासन में
बनाये रखा। इन्होने
पाल वंश के
राजा धर्मपाल को
भी हराया।
- भोज, जिसे मिहिरभोज
के नाम से
भी जाना जाता
है, प्रतिहार वंश
का महानतम शासक
था। भोज भगवान
विष्णु का अनुयायी
था।
- भोज को आदि
–वराह
भी कहा गया
है।
- भोज के बाद
उसका पुत्र महेन्द्रपाल
सिंहासन पर बैठा।
- विख्यात संस्कृत कवि एवं
नाटककार राजशेखर भोज के
पौत्र महिपाल के
दरबार में अवस्थित
था।
- राजशेखर ने कर्पूरमंजर,
बाल रामायण बाल
महाभारत एंव कन्यामीमांसा
ग्रंथों की रचना
की।
पाल राजवंश
- पाल राजवंश का संस्थापक
गोपाल था।
- गोपाल के बाद
उसका पुत्र धर्मपाल
राजगद्दी पर बैठा।
- धर्मपाल को राष्ट्रकूट
वंश के शासक
ध्रुव के हाथों
पराजय का सामना
करना पड़ा।
- धर्मपाल को गुर्जर
–प्रतिहार
शासक नागभट्ट –द्वितीय के हाथों
भी पराजय झेलनी
पड़ी।
- एक अरबी यात्री
सुलेमान, जो 9वीं
शताब्दी के मध्य
भारत दौरे पर
आया था, ने
पाल राज्य के
बारें में लिखा
है। उसने इसे
(पाल राज्य को)
रूहम कहा है
जिसका तात्पर्य है
‘धर्म’ एवं यह
धर्मपाल का संक्षिप्त
नाम भी है।
- पाल शासक बौद्ध
धर्म के उपासक
थे।
- नालन्दा विश्वविद्यालय के पुनरोद्धार
का कार्य धर्मपाल
द्वारा करवाया गया था।।
उसने विक्रमाशिला विश्वविद्यालय
की स्थापना करवाई
जो नालन्दा के
बाद क्रम में
दूसरी थी।
- मलाया, जावा, सुमागा एवं
पड़ौसी क्षेत्रों पर शैलेन्द्र
नामक एक शक्तिशाली
वंश का अधिकार
था। यह बौद्ध
धर्म का अनुयायी
था। इसने पाल
वंश के शासकों
के पास कई
राजदूतों को भेजा
एवं नालंदा में
विदेशी विद्यार्थियों के लाभ
की की दृष्टि
से एक मठ
का निर्माण करने
के लिए अनुमति
प्राप्त कर ली।
राष्ट्रकूूूट वंश
- इस
वंश का संस्थापक दन्तिदुर्ग
था।
- अरबों
द्वारा राष्ट्रकूटों को बलहार की
संज्ञा दी गई है।
- इनकी
राजधानी मनकीर या मान्यखेत थी।
(वर्तमान महाराष्ट्र राज्य में)
- कृष्ण
प्रथम द्वारा प्रसिद्ध एलोरा के शिव मंदिर
का निर्माण करवाया गया।
- ध्रुव
ने गंगा एवं यमुना
नदी के चिह्नों को
राष्ट्रकूट के राज्य चिह्न
में समाविष्ट करवाया।
- कन्नड़
साहित्य के सबसे प्राचीन
ग्रंथों में से एक
ग्रंथ ‘कविराज मार्ग’ का संकलन अमोघवर्ष
द्वारा किया गया। इन्होने
तुंगभद्र नदी में जल
समाधि द्वारा अपने प्राणों का
त्याग कर दिया।
- राष्ट्रकूटों
में सबसे प्रतिष्ठित शासक
गोविंद –द्वितीय एवं
अमोघवर्ष थे।
- कृष्ण-तृतीय ने चोल शासक
परांतका –प्रथम को
परास्त कर चोल साम्राज्य
के दक्षिण हिस्से पर अधिकार कर
लिया।
- कृष्ण-तृतीय ने चोल शासक
परांतका-प्रथम को परास्त कर
चोल साम्राज्य के दक्षिण हिस्से
पर अधिकार कर लिया।
- राष्ट्रकूट
शैववाद, वैष्णववाद एवं जैनवाद तीनों
के ही समर्थक थे।
- महान
अपभ्रंश कवि स्वयंभू राष्ट्रकूट
दरबार में ही अवस्थित
था।
तंजावुर का चोल साम्राज्य
- चोल
साम्राज्य दक्षिण भारत का महानतम
एवं सर्वाधिक समय तक शासन
करने वाला साम्राज्य था।
- चोल
वंश का संस्थापक विजयालय
था।
- राजाराज-प्रथम ने तंजावुर का
बृहदेश्वर मंदिर निर्माण करवाया था। यह हिंदु
धर्म के सबसे विशाल
मंदिरों में एक है।
यह दक्षिण भारत का सबसे
लम्बा मंदिर है।
- राजेन्द्र
–प्रथम चोल
साम्राज्य सर्वप्रमुख राजा था।
- इसने
उत्तर- भारत की तरफ
एक सैन्य अभिज्ञान भेजा जिसमें इसकी
सेना को विजय प्राप्त
हुई एंव इसने "गंगईकोंड
चोल" की उपाधि धारण
कर ली।
- इसने
'गंगईकोंड चोलापूरम' को अपनी नई
राजधानी बनाया।