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Medieval History मध्‍यकालीन भारत , दिल्‍ली सल्‍तनत , तूगलक वंश (1320 -1414 )

गयासुद्दीन तूगलक (1320 - 1325)


- इसने कुछ वर्ष दिपालपुर में अलाउद्दीन मुक्ति के नाम से शासन किया।

- इसके शेख निजामुद्दीन औलिया के साथ विरक्त सम्बंध रहे।

- इसने अपने पुत्र जौना खान के नेतृत्व में वारांगल के काकतिय शासको के विरूद्ध दो सैन्य अभियान भेजे।

- संचार प्रणाली के सुधार का श्रेय गयासुद्दीन तुगलक को ही जाता है, विशेषकर डाक संचार व्यवस्था।

- शासन के आरंभ में इसने एक बड़ा महलनुमा किले का निर्माण करवाया जिसे तुगलकाबाद कहा जाता है।

- 1326 में गयासुद्दीन के स्वागत के लिए जौना खान द्वारा खड़ा किया गया मण्डप गिरने से गयासुद्दीन की मृत्यु हो गई।

 मूहम्‍मद बिन तूगलक (1325 - 1351)


- जौना खान बाद में मुहम्मद बिन- तुगलक के नाम से जाना गया।

- इसने कृषि विभाग का निर्माण किया जिसे दीवान कोही कहा गया।

- यह अपने प्रयोगों के लिए जाना जाता था, जो बुरी तरह असफल हुए। वे थे

1. अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरी (1326 27) हस्तांतरित करना जिसका नाम परिवर्तित कर दौलताबाद रखा गया।

2. दोआब क्षेत्र में उत्पादन का 50% टोकन मुद्रा के रूप में लेना।

3. 1337 38 में कराचिल (कांगडा, हिमाचल प्रदेश) अभियान

- दिल्ली सुल्तानों में सबसे अधिक सिक्के मुहम्मद बिन तुगलक ने ही जारी किये, अत: इसे धन का राजकुमार भी कहा जाता है।

- अन्य दिल्ली सुल्तानों की तुलना में इसे सर्वाधिक विद्रोहों का सामना करना पडा। इन सब विद्रोह में से दो मुख्य विद्रोह थे क्योंकि इन विद्रोह से दो स्वतंत्र साम्राज्यों की स्थापना हुई थी। ये विद्रोह थे विजयनगर साम्राज्य (1336) एवं बहमनी साम्राज्य (1349)

- इसने तुगलकाबाद किले का निर्माण कार्य पूर्ण करवाया एवं अपने आप को जहापनाह कहलवाया।

- एक विद्रोही को सजा देने के लिए यह सिंध प्रान्त की तरफ गया एवं वही बीमार होने से इसकी मृत्यु हो गई।

- अब्दुल कादिर बदायूंनी के शब्दों में सुल्तान जनता से एवं जनता सुल्तान से स्वतंत्र हो गए।

- मोरक्को यात्री इब्न बतूता 1333 में मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में ही दिल्ली भ्रमण पर आया था।

फिरोजशाह तुगलक (1351 - 1388) 


- यह मुहम्मद बिन तुगलक का रिश्तेदार था।

- सिंहासन पर बैठने के बाद फिरोज तुगलक को आंतरिक अव्यवस्था का सामना करना पडा। अत: उसने पादरी के प्रभाव में आकर अपने राज्य को सुन्नी इस्लामी राज्य घोषित कर दिया।

- उसने यह घोषणा की की यदि कोई कुलीन व्यक्ति मर जाता है तो उसका इक्ता में स्थान उसका पुत्र लेगा, यदि उसके कोई पुत्र नहीं है तो उसका दामाद स्थान लेगा और दामाद की अनुपस्थिति में उसका सेवक।

- उसने जजिया को एक अलग कर के रूप में स्थापित किया एवं दिल्ली सल्तनत में पहली बार यह ब्राहम्णों पर लगाया गया।

- इसका सर्वमहत्वपूर्ण योगदान सिंचाई व्यवस्था के लिए नहरों को निर्माण कार्य था।

- इसने कई शहरों की स्थापना की यथा फिरोजाबाद, फतेहाबाद, हिसार, जौनपुर एवं फिरोजपुर।

- इसने एक रोजगार कार्यालय की स्थापना की एवं इसकी देखभाल के लिए एक अधिकारी नियुक्त किया।

- इसने एक दान कार्यालय की स्थापना की जिसे दीवान खैरात कहा गया।

- इसने एक चिकित्सालय का निर्माण करवाया जिसे दर उल- शिफा कहा गया।

- इसने गुलामों के लिए अलग विभाग की स्थापना की जिसे दिवान बनदगा कहा गया।

- इसने जियाउद्दीन बरानी एवं शम्स सिराज अफीफ नामक कवियों को अपने राज्य में संरक्षण दिया था। दो महत्वपूर्ण ऐतिहासिक ग्रंथ फतवा जहॉदारी एवं तारीख फिरोजशाही बरानी द्वारा इसी समय लिखी गई।

- फिरोज ने अपनी आत्मकथा फुतुहत फिरोजशाही लिखी।

- अशोक स्तंभ पर लिखी लिपी को सर्वप्रथम गढने को प्रयास फिरोजशाह ने ही किया था।

- इसका सबसे लम्बा अभियान थट्टा (सिंघ) एवं गुजरात अभियान था, जिसके बाद इसने अपने सैनिकों को युद्ध में हुई पीडा को महसूस किया और जीवन में कभी फिर युद्ध करने की प्रतिज्ञा ली।

- नागरकोट अभियान फिरोजशाह का सबसे सफल अभियान था।

- 1388 में इसकी मृत्यु हो गई।

उत्‍तर - कालीन तुगलक 

  
- 1388 में फिरोजशाह की मृत्यु के बाद, इसका पौत्र तुगलक शाह सिंहासन पर बैठा, जिसने गयासुद्दीन तुगलक द्वितीय का नामधारण कर लिया।

- गयासुद्दीन तुगलक ने कुलीन व्यक्तियों को अपने आचरण से नाराज कर दिया था। अत: उन्होने 1389 में उसे सिंहासन से हटाकर फिरोज तुगलक के दुसरे पौत्र अबू बक्र को सिंहासन पर बैठा दिया।

- कुछ समय पश्चात् फिरोज तुगलक के पुत्र मुहम्मद खान ने कुछ शक्तिशाली अधिकारियों की सहायता से अबू बक्र को अपदस्थ कर स्वयं 1390 में सिंहासन पर बैठ गया।

- मुहम्मद खान भी ज्यादा समय तक शासन नहीं कर सका एवं बीमारी के कारण 1394 में उसकी मृत्यु हो गई।

- इसके बाद मुहम्मद खान का ज्येष्ठ पुत्र अलाउद्दीन सिकंदर शाह गद्दी पर बैठा परन्तु उसकी भी 1395 में मृत्यु हो गई।

- इसके बाद मुहम्मद खान का छोटा पुत्र नासिरूद्दीन महमुद 1395 में सिंहासन पर बैठा।

- 1398 में नासिरूद्दीन के शासनकाल के दौरान ही तैमूर ने आक्रमण किया था।

- तैमूर ने 17 दिसम्बर( 1398 को दिल्ली में नासिरूद्दीन महमूद को परास्त कर दिया एवं खिज्र खाँ को उत्तर पश्चिम भारत का सुबेदार नियुक्त कर दिया।

- तुगलक वंश का अंत 1413 में नासिरूद्दीन महमूद की मृत्यु के साथ हुआ।


शर्की वंश 

- मलिक सरवर (1394 1399) जौनपुर के शर्की वंश का संस्थापक था।

- मलिक सरवर के बाद मुबारक शाह (1399 1402) सिंहासन पर बैठा।

- शर्की वंश का सबसे प्रतिष्ठित शासक इब्राहिम शाह (1402 1440) था।

- इब्राहिम शाह ने 1408 में अटाला मस्जिद का निर्माण करवाया।

- लाल दरवाजा मस्जिद का निर्माण महमूद शाह (1440 56) के शासनकाल में हुआ।



 तुगलक सुल्‍तान ( 1320 - 1414 )

1. गयासुद्दीन तुगलक - 1320 1325

2. मुहम्मद बिन तुगलक - 1325 1351

3. फिरोज शाह तुगलक - 1351 1388

4. गयासुद्दीन तुगलक II - 1388 1389

5. अबू बक्र - 1389 1390

6. अलाउद्दीन सिकंदर शाह - 1394 1395

7. नासिरूद्दीन महमूद (दिल्ली)  - 1395 1396 और 1396 - 1413

8. नुसरत शाह (फिरोजाबाद) - 1396

  

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