गुप्त वंश (319/20 ईसवी -550 ईसवी )
- गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था।
- ईत्सिंग जो 671 ई से 695 ईस्वी के दौरान भारत यात्रा पर आया था, ने श्रीगुप्त को चीनी दार्शनिकों के लिए गया में बनाए गए एक मंदिर के लिए उत्तरदायी बताया है।
- श्रीगुप्त के बाद उसका पुत्र घटोत्कच राजगद्दी पर बैठा।
चंद्रगुप्त (319/20 ईसवी -335 ईसवी )
- घटोत्कच के बाद चंद्रगुप्त प्रथम – राजगद्दी पर बैठा। चंद्रगुप्त प्रथम को ही गुप्त साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
- इसने एक लिच्छवी राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया।
- इलाहाबाद अभिलेख में चन्द्रगुप्त –प्रथम के पुत्र समुद्रगुप्त एवं कुमारदेवी ने स्वयं को लिच्छवी –दौहित्र कहा है जिसका तात्पर्य है- लिच्छवियों की पुत्री का पुत्र।
- चंद्रगुप्त –प्रथम ने गुप्त संवत् की शुरूआत 320 ईस्वी से की थी। वह गुप्त वंश का पहला शासक था जिसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी। उसने स्वर्ण के सिक्के जारी किये थे।
समुद्रगुप्त (335 ईसवी -380 ईसवी )
- चन्द्रगुप्त –प्रथम के बाद उसका पुत्र समुद्रगुप्त राजगद्दी पर बैठा। उसे भारतीय नेपोलियन कहा गया।
- इलाहाबाद अभिलेख में समुद्रगुप्त के बारें में विस्तृत विवरण है। यह इसके राजदरबारी कवि हरिसेन द्वारा
संकलित किया गया था। यह इलाहाबाद में ही अशोक स्तंभ पर गढ़ा है।
- समुद्रगुप्त ने अश्वमेघ यज्ञ करवाया था।
- इसने सिक्कों पर धनुर्धर, चीते एवं युद्ध के चित्र अंकित थे। कुछ सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुए भी दिखाया गया है।
- उसे कविराज भी कहा जाता था, जिसका अर्थ है कवियों का राजा।
- 380 ईस्वी में उसकी मृत्यु हो गई एवं उसका पुत्र चंद्रगुप्त द्वितीय सिंहासन पर बैठा।