संगम राजवंश
परिचय
- भारतीय दक्षिणी राज्यों की सर्वप्रथम विस्तृत जानकारी संगम साहित्य से प्राप्त होती है।
- दक्षिण भारत की साहित्यिक भाषाओं एवं बोली जाने वाली भाषाओं में तमिल सबसे प्राचीन भाषा है।
- साहित्य सभाओं को संगम कहा जाता था, जो पांडियन राजाओं द्वारा स्थापित की गई थी।
- अशोक के रॉक शिलालेख II और XIII से चोल, पांड्या, सत्यपुत्र, केरलपुत्र एवं तम्बापन्नी के दक्षिण
राज्यों का ज्ञान होता है।
चोल राजवंश
- इन्होने कावेरी नदी के किनारे से सटे हुए क्षेत्र को अधिग्रहित किया।
- प्रारंभ में इनकी राजधानी उरीयर थी जो तिरूचिरपल्ली में स्थित थी परन्तु बाद में यह
पूहार(कावेरीपट्टनम) स्थानान्तरित हो गई थी। पूहार मुख्य बंदरगाह था।
- पूर्व चोल राजवंश का सबसे विशिष्ट राजा करिकालन था, जिसने तंजौर के निकट वेन्नी के युद्ध में चेरा व
पान्डया की अध्यक्षता वाले लगभग एक दर्जन शासको के एक महासंघ को हराया था। करिकालन ने
एक शक्तिशाली सेना का निर्माण किया एवं श्रीलंका पर विजय प्राप्त़ की।
- अंतत: चोल वंश को पल्लवों से युद्ध में पराजय का सामना करना पड़ा।
पांडियन राजवंश
- इन्होने तमिलनाडु के तिरूनेलवेली, रामनाथपुरम् एवं मदुरै के क्षेत्र को अधिग्रहित किया।
- मदुरई को राजधानी बनाया गया। यह बैगाई नदी के किनारे स्थित था।
- नेदुजेलियाँ सर्वप्रख्यात पांडियन राजा था। इसका वर्णन शिलप्पादिकारम में भी किया गया है।
- कोरकई इनका एक बंदरगाह था।
- पांडियन वंश का सर्वप्रथम वर्णन मेगस्थनीज ने किया जिसके अनुसार इनका राज्य मोतियों के लिए प्रसिद्ध था।
- पांडियन राजाओं ने रोम के सम्राट आगस्टस एवं त्राजान के पास दुतों को भेजा था।
चेरा राजवंश
- चेरा शासको को केरलापुत्र भी कहा जाता था। ये पांडियन राज्य के पश्चिम एवं उत्तर में स्थित थे।
- सेंगुट्टुवन को लाल चेरा भी कहा जाता था। यह चेरा राजाओं में सबसे शाक्तिशाली था। वह चोल एवं
पांडियन राजाओं को हराकर गंगा नदी को पार करते हुए उत्तर तक पहुँच गया।
- चेराओं की राजधानी वज्जी थी एवं मुख्य बंदरगाह मुजिरिस था।
- सेंगुट्टुवन ने प्रसिद्ध पत्तिनी पंथ की भी स्थापना की थी, जो कि कन्नगी (दान की देवी) से सम्बंधित था।
1. राजवंश – प्रतीक चिह्न
2. चोल – बाघ
3. पांडिया – मछली
4. चेरा – धनुष